पुरालेखीय सामग्री
आधुनिक भारत के इतिहास के निर्माण में राजकीय अभिलेखों-विभिन्न स्तरों पर सरकारी अभिकरणों के दस्तावेज को सर्वोच्च प्राथमिकता दिए जाने की आवश्यकता है। पुरालेखीय सामग्री ऐसे दस्तावेज हैं, जिन्हें कोई संगठन, लोक प्राधिकारी, संस्था, व्यवसाय या परिवार अपने कार्यों के दौरान तैयार करता है,
आधुनिक भारतीय इतिहास
ईस्ट इंडिया कंपनी के अभिलेखों ने 1600-1857 की कालावधि के दौरान की व्यापारिक दशाओं का विस्तृत वर्णन प्रदान किया। यह सत्य है कि ब्रिटेन की वाणिज्यिक कंपनी ने हजारों मील दूर एक बड़े क्षेत्र पर अपनी राजनीतिक सर्वोच्चता स्थापित की, जिसके लिए एक प्रकार के प्रशासन की आवश्यकता थी जो पूरी तरह कागजों पर था। प्रत्येक नीति लिखित में होती थी और प्रत्येक व्यवसाय एवं लेन-देन प्रेषण, परामर्श एवं कार्रवाई, गुप्त पत्रों तथा अन्य पत्राचार के माध्यम से होता था, जिसके परिणामस्वरूप ऐतिहासिक सामग्री की मात्रा में कल्पनातीत वृद्धि हुई। राजकीय अभिलेख, निदेशक मंडल और बोर्ड ऑफ कंट्रोल से संबद्ध अभिलेखों के अतिरिक्त जिले से लेकर सर्वोच्च सत्ता तक, प्रशासन के सभी स्तरों को शामिल करते थे। जब ब्रिटिश महारानी (क्राउन) ने प्रशासन (भारतीय) संभाला, तो उसने भी बड़ी मात्रा में विभिन्न तरीकों के राजकीय अभिलेख सुरक्षित रखे। इन अभिलेखों का परीक्षण करके, हम चरणवार प्रत्येक घटना एवं विकास को समझ सकते हैं, और नीति-निर्माताओं के मनोविज्ञान सहित निर्णयन की प्रक्रिया का अनुगमन कर सकते हैं।
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